Samajwadi Party: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी में टिकट का बंटवारा चूं चूं के मुरब्बा जैसा हो गया है। बिना शुद्ध सॉलिड मिश्रण…बिना किसी समीकरण…बिना किसी ज़मीनी हक़ीक़त। जब जिसका जी आया उसके मुताबिक उम्मीदवार बदल दिए जाते हैं। आलम ये है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी अब तक अपने आधे दर्ज़न से ज़्यादा उम्मीदवार बदल चुकी है। हालात ये हो गया कि इसी कंफ्यूजन में मध्य प्रदेश में कांग्रेस से मिली एक सीट पर सपा के उम्मीदवार का पर्चा निरस्त हो गया। इसका मतलब ये हुआ कि बैठे बैठाए मुफ्त में मध्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष और खजुराहो उम्मीदवार वीडी शर्मा की जीत का रास्ता साफ हो गया। वहीं, बीजेपी में तो हालात और भी बदतर है।
UP में यहां बदले उम्मीदवार
बागपत, संभल, मिश्रिख, बिजनौर, रामपुर, मुरादाबाद, गौतमबुद्धनगर, मुरादाबाद, मेरठ
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ये उन सीटों के नाम हैं जहां अब तक उम्मीदवार बदले जा चुके हैं। कहीं एक बार कहीं दो बार और कहीं तीन बार। अभी भी कई उम्मीदवार ऐसे हैं। जिनकी पक्की उम्मीदवारी पर मुहर लगनी बाक़ी है। कंफ्यूजन ही कंफ्यूजन है। दरवाज़े पर चुनाव है और सॉल्यूशन पता नहीं।
- मेरठ सीट से समाजवादी पार्टी ने भानु प्रताप सिंह को सबसे पहले टिकट दिया।
- फिर भानु प्रताप सिंह का टिकट काटकर अतुल प्रधान को टिकट दिया।
- अब अतुल प्रधान के नामांकन करने के बाद सुनीता वर्मा को टिकट दे दिया गया है।
Samajwadi Party: मेरठ टू गाजियाबाद, आफत बरकरार
समाजवादी पार्टी में टिकट बंटवारे को लेकर घमासान लगातार जारी है। मेरठ लोकसभा सीट से उम्मीदवार अतुल प्रधान ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर नामांकन किया तो सुबह होते-होते उनका टिकट कट गया। टिकट मिलने और कटने का सिलसिला जिस तरह से जारी है उससे समाजवादी पार्टी के भीतर मचे घमासान की बहुत क्लियर तस्वीर सामने आती है।
गौतमबुद्ध नगर से डॉक्टर महेंद्र नागर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार हैं। इनसे पहले पार्टी ने राहुल अवाना को टिकट दिया था। यही हाल बागपत में दिखा। बागपत लोकसभा सीट से पहले समाजवादी पार्टी ने मनोज चौधरी को उम्मीदवार बनाया। टिकट मिलने की ख़ुशी नेताजी के चेहरे पर अभी ठीक से टिकी भी नहीं थी कि तेरह दिन बाद उनका पत्ता पार्टी ने साफ़ कर दिया। मनोज चौधरी का टिकट काटकर साहिबाबाद के पूर्व विधायक अमरपाल शर्मा को प्रत्याशी घोषित कर दिया।
SP में घमासान
- आधा दर्जन उम्मीदवार बदल डाले
- शिवपाल के बेटे का बड़ा दावा
- आदित्य यादव बदायूं सीट से लड़ेंगे?
- अभी शिवपाल यादव हैं बदायूं से उम्मीदवार
- मेरठ से पार्टी ने सुनीता वर्मा को दिया टिकट
- बाग़पत से भी SP ने बदला उम्मीदवार
- बाग़पत से अमरपाल शर्मा को टिकट
यूपी में लोकसभा की अस्सी सीटे हैं और कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद समाजवादी पार्टी कुल 63 सीटों पर चुनाव लड़ रही है मतलब 17 सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ दी है। लेकिन इन 63 सीटों पर ही पेच ऐसा फंसा है कि पार्टी के भीतर एकजुटता की सारी पोल पट्टी सामने आ गई है।
Samajwadi Party: चाचा शिवपाल का नया पैंतरा
बदायूं से सबसे पहले धर्मेंद्र यादव को टिकट दिया गया था फिर धर्मेंद्र यादव का टिकट काटकर शिवपाल यादव को टिकट दिया गया। अब कार्यकर्ताओं ने प्रस्ताव भेजा है कि शिवपाल यादव की जगह उनके बेटे आदित्य यादव को चुनावी मैदान में पार्टी उतारे। आदित्य ने ये भी कहा कि अगर पार्टी मुझे टिकट देगी तो मैं चुनाव लड़ता हुआ नजर आऊंगा, लेकिन मुझे टिकट नहीं मिली तो चुनाव लड़ते हुए दिखाई देंगे।
बदायूं से धर्मेंद्र यादव का टिकट कटने के बाद आजमगढ़ सदर लोकसभा सीट से पार्टी ने उम्मीदवार बना दिया। मुरादाबाद लोकसभा सीट से एस टी हसन के नामांकन करने के बाद रुचि वीरा को टिकट दे दिया गया। रुचि वीरा आजम खान की बेहद करीबी हैं। रामपुर लोकसभा सीट से पहले असीम रज़ा ने समाजवादी उम्मीदवार के तौर पर नॉमिनेशन फॉर्म ले लिया। लेकिन पार्टी ने मौलाना एम नदवी को पैराशूट उम्मीदवार बना दिया।
मुरादाबाद लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद एस टी हसन इस कदर पार्टी से नाराज है कि उन्होंने पार्टी के प्रत्याशी रुचि वीरा का मुरादाबाद में चुनाव प्रचार करने से ही मना कर दिया है।
Samajwadi Party: अखिलेश की वजह से सपा में घमासान
किसी का टिकट 24 घंटे में कट जाता है किसी का 72 घंटे में किसी का दस दिन में तो किसी का तेरह दिन में। पार्टी कार्यकर्ता कंफ्यूज्ड हैं कि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की मंशा क्या है। नेता कंफ्यूज्ड हैं कि उन्हें जो टिकट मिला है वो नॉमिनेशन करने के बाद भी कंफर्म है कि नहीं। क्या इस तरीके से समाजवादी पार्टी बीजेपी के फ़ुल ऑन वॉर मोड का मुक़ाबला कर पाएगी। क्योंकि घर में ही घमासान मचा है तो दरवाज़े पर क्या होगा?
सवाल है समाजवादी पार्टी में ये ऊहापोह क्यों है। जवाब समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है। एक तरफ़ रामपुर को अपना क़िला मान रहे आज़म ख़ान है। जो पार्टी के भीतर अपनी हैसियत जताने के लिए जेल से ही सुपर ऐक्टिव हैं और रामपुर में उम्मीदवार तक बदलवा चुके हैं दूसरी ओर शिवपाल यादव हैं जिन्हें ख़ुद से ज़्यादा चिंता सुपुत्र आदित्य यादव का पॉलिटल करियर बनाने की है और तीसरी ओर रामगोपाल यादव हैं जिनकी पार्टी के अंदरुनी हिस्से में बड़ी पूछ है और इन सबके ऊपर चौथा खंबा संभाले अखिलेश यादव हैं। जिन्हें सबकुछ देखना है। चाचा को भी…चचेरे भाइयों को भी..भतीजे को भी और आज़म खान को भी। अखिलेश यादव किसी की नाराज़गी मोल लेना नहीं चाहते लिहाजा सुबह टिकट दे भी देते हैं तो शाम को उसे बदल देने में गुरेज नहीं करते। पार्टी की क्रेडिबिटी संकट में पड़े तो पड़े चाचा और भाई ना रूठे।
अखिलेश फिर बदलेंगे उम्मीदवार
शिवपाल सिंह के बेटे आदित्य यादव बदायूं से किसी भी क़ीमत पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं वो चाहे पार्टी टिकट दे या नहीं दे। आज़म ख़ान जेल से ही चाहते हैं कि समाजवादी पार्टी उनके कहे में रहे। अखिलेश यादव चाहते हैं कि पार्टी अबकी बार इस तरह लड़े कि जनता को ये मैसेज जाए कि पार्टी में दम है और बीजेपी का मुक़ाबला करने में सक्षम है। लेकिन जो दिख रहा है वो ये कि सपा में ऑल इज़ वेल नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मजबूत मैजिक…मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रचंड प्रचार और इन सबके बीच सपा का घमासान। मैसेज लाउड एंड क्लियर है।