RAISI DEATH MISTRY: रईसी की ‘मौत मिस्ट्री’ का खुलासा! साजिश की पांच थ्योरी, ईरान के ही नेताओं पर शक!

RAISI DEATH MISTRY: रईसी की मौत पर अमेरिका और इज़राइल अब तक ख़ामोश हैं। सवाल उठने लाजिमी हैं। रईसी की मौत पर दुनिया भर में शोक संवेदना जताई जा रही है। भारत में कल एक दिन का शोक रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत-ईरान की दोस्ती में रईसी की बड़ी भूमिका रही है।

इसे जरूर पढ़ें।

RAISI DEATH MISTRY: क्यों गिरा रईसी का हेलिकॉप्टर? कैसे हुई रईसी की मौत…जलने से? चोट लगने से? या वजह कुछ और रही। रईसी की मौत की गुत्थी सुलझाने में दुनिया के बड़े-बड़े एक्सपर्ट जुटे हैं। लिहाजा ये समझना बहुत ज़रूरी है कि रईसी की मौत की सिर्फ़ हेलिकॉप्टर क्रैश की वजह से हुआ या इसके पीछे कोई बड़ी साज़िश है?

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत को लेकर इस वक़्त दुनिया भर में कई थ्योरी चल रही है और हर थ्योरी के पीछे कारण गिनाए जा रहे हैं।

  • पहला सवाल: BELL 212 हेलीकॉप्टर से सफर क्यों ?
  • दूसरा सवाल: लंबी फ़्लाइट फिर MI-17 से क्यों नहीं गए ?
  • तीसरा सवाल: ईरान के ख़िलाफ़ दुश्मन ने बड़ी साज़िश रची ?
  • चौथा सवाल: ख़राब मौसम की जानकारी थी, फिर क्यों टेक ऑफ़?
  • पांचवां सवाल: इंटरनैशनल या फिर इंटरनल साज़िश के शिकार तो नहीं हुए ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी?

इसे भी पढ़िए: MODI AFTER 75 YEARS: मोदी थे, मोदी हैं और मोदी ही रहेंगे! BJP ने सभी आशंकाओं को साफ किया

इन सवालों में रत्ती भर भी सच्चाई है तो फिर दुनिया के सामने नया और एक बहुत बड़ा संकट आने वाला है

साज़िश की थ्योरी नंबर 1

एक बेहद सामान्य लेकिन बहुत मजबूत सवाल उठ रहा है कि मौसम ख़राब था। कोहरा था। धुंध थी। लेकिन फिर भी रईसी का हेलिकॉप्टर टेक ऑफ़ हुआ।

रईसी के काफिले में एक..दो…तीन हेलिकॉप्टर थे। मौसम तीनों के लिए समान था। लेकिन दो हेलिकॉप्टर सामान्य लैंडिंग करने में सफल रहे और रईसी वाला हेलिकॉप्टर दुर्घटना का शिकार हो गया।

सवाल है कि क्या पायलट से कोई ग़लती हुई? या हेलिकॉप्टर में ऐसा कोई डिवाइस फिट किया गया था जिसकी वजह से क्रैश हुआ?

इस सवाल के तह तक जाने के लिए अज़रबैजान से ईरान के रिश्ते को समझना होगा। जहां से रईसी का हेलिकॉप्टर टेक ऑफ़ हुआ। अज़रबैजान ईरान की तरह ही शिया बहुल देश है लेकिन अज़रबैजान के रिश्ते ईरान से ज़्यादा इज़राइल से मजबूत रहे हैं। इसके पीछे की वजह है आर्मेनिया से अज़रबैजान की दुश्मनी जिसकी वजह है सीमा विवाद। इस मुद्दे पर इज़राइल अज़रबैजान का साथ देता रहा है जबकि ईरान सीमा परिवर्तन का समर्थन नहीं करता।

साज़िश की थ्योरी नंबर 2

अज़रबैजान से रईसी का हेलिकॉप्टर उड़ान भरता है। हेलिकॉप्टर के बारे में कहा जा रहा है कि वो वेल कंडीशन में था। यानी किसी तरह की कोई तकनीकी दिक्कत या परेशानी हेलिकॉप्टर में नहीं थी। तो फिर क्रैश कैसे हो गया?

रईसी की मौत का EMP कनेक्शन?

ईएमपी मतलब इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स वेपन्स इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स कैनन से निकली तरंगों का इस्तेमाल करता है। ये एक सुपर-शक्तिशाली माइक्रोवेव सिस्टम का उपयोग करता है। ईएमपी से निकली ऊर्जा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे ड्रोन में वोल्टेज वृद्धि का कारण बनती है। इससे पहले कि ड्रोन या कोई दूसरा इलेक्ट्रानिक उपकरण अपने तापमान को नियंत्रित कर सके ये इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स वेपन उसे बेकार बना देता है। तो क्या अज़रबैजान में रईसी के हेलिकॉप्टर के टेक ऑफ़ के पहले उसमें EMP फिट किया गया था या EMP के ज़रिए हेलिकॉप्टर को उड़ा दिया गया।

ईरान की बढ़ती ताक़त पश्चिमी देशों से लेकर अमेरिका और इज़राइल तक के लिए परेशानी का कारण रहा है। यूक्रेन युद्ध में रूस को ईरान के ड्रोन सप्लाई की वजह..परमाणु शक्ति का संवर्धन वो कारण हैं जिसकी वजह से नैटो ताक़तें बहुत तनाव में रही हैं। लिहाजा ये भी शंका पैदा हो रही है कि कहीं रईसी की मौत का कारण पश्चिमी देशों में रची गई कोई साज़िश तो नहीं है।

साज़िश की थ्योरी नंबर 3

मध्य पूर्व में ईरान बड़ी शक्ति है और इब्राहिम रईसी इस शक्ति का केंद्र थे। एक ऐसा नेता जिसका अमेरिका घनघोर विरोधी रहा है। रईसी पर अमेरिका प्रतिबंध भी लगा चुका था। ईरान अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण टेंशन में भी रहता है क्योंकि मुल्क की तरक्की में ये प्रतिबंध बहुत बड़ी बाधा हैं। रईसी के नहीं होने पर अमेरिका या पश्चिमी ताक़ते मिडिल ईस्ट में खुलकर खेल सकती हैं।

2020 में ईरान के लोगों के लिए हीरो माने जाने वाले जनरल कासिम सुलेमानी की एक अमेरिकी ड्रोन हमले में मौत हो गई थी और यही वजह है कि ये शंका जताई जा रही है कि कहीं रईसी की मौत के पीछे पश्चिमी ताक़ते तो नहीं हैं?
अमेरिका ने रईसी की मौत की वजह किसी तरह की साज़िश होने से शुरुआती तौर पर इनकार किया है लेकिन फ़ुलप्रूफ़ इनकार अब भी बाक़ी है। ज़ाहिर है शक की बड़ी गुंजाइश अब भी शेष है।

साज़िश की थ्योरी नंबर 4

ये रईसी थे जिन्होंने हमास का ख़ुलकर समर्थन किया। ये रईसी थे जिन्होंने यमन के हूथी विद्रोहियों को समर्थन दिया। ये रईसी थे जिन्होंने लेबनान के हिज़्बुल्लाह का समर्थन किया। और ये तीनों मिलकर इज़राइल को ज़ख़्म देते रहे हैं। इसीलिए कहा जा रहा है कि रईसी के अंत में कहीं इज़राइल का हाथ तो नहीं?

ये तथ्य है कि हमास को ईरान से समर्थन मिलना बंद हो जाए तो ग़ाज़ा से लेकर रफ़ाह तक इज़राइल क़ब्ज़ा कर ले। और यही वजह है कि रईसी की मौत का इज़राइल से कनेक्शन जोड़ा जा रहा है।

इस साज़िश को मजबूती देने के लिए कहा जा रहा है कि अज़रबैजान में जब रईसी मौजूद थे उसी वक़्त इज़राइल की ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद ने उनके हेलिकॉप्टर के साथ छेड़छाड़ की। इज़राइल अक्सर अपने दुश्मनों को विदेशी ज़मीन पर मारने की साजिश रचता है। मोसाद ऐसे ऑपरेशन को अंजाम देती है। लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात है कि अज़रबैजान में मोसाद ही ऐक्टिव नहीं है बल्कि ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड भी बड़ी तादाद में मौजूद हैं।

सवाल घुम फिर के वहीं पहुंच जाता है कि फिर क्या हुआ था रईसी के हेलिकॉप्टर के साथ..कैसे क्रैश हो गया हेलिकॉप्टर जिसमें रईसी की मौत हुई।

साज़िश की थ्योरी नंबर 5

एक शंका ये भी जताई जा रही है कि रईसी की मौत की वजह इंटरनैशनल नहीं इंटरनल षड्यंत्र हो सकता है। रईसी ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली ख़ामनेई के बाद सबसे ताक़तवर नेता थे। ख़ामनेई के इंतकाल के बाद रईसी ही उनका उत्तराधिकारी होते। कट्टरपंथी नेता की छवि के चलते रईसी ईरान के भीतर ही कुछ लोगों के रडार पर भी थे। लेकिन सारी थ्योरी सिर्फ़ कयास भर हैं। हेलिकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स मिलने के पहले जिसमें क्रैश की असली वजह दर्ज होती है कुछ भी ठोस तौर पर कहना जल्दीबाज़ी होगी। लेकिन ये तय है कि रईसी की मौत की वजह साज़िश है तो फिर वो दुश्मन तैयार रहें जिन्होंने रईसी को मौत दी है।

इब्राहिम रईसी

  • ईरान के सर्वोच्च नेता के पद के दावेदार थे
  • मिडिल लिस्ट की राजनीति में रईसी का रोल अहम था।
  • 2021 में ईरान के राष्ट्रपति चुने गए थे
  • 2021 में 62% वोट से राष्ट्रपति का चुनाव जीता
  • 1960 में ईरान के पूर्वी शहर मशहद में जन्म
  • इस्लामी कानून के बड़े जानकार
  • धार्मिक महत्व के शहर कोम में शिक्षा
  • ईरान के प्रसिद्ध मौलवियों का मार्गदर्शन मिला

ईरान के सर्वोच्च नेता

  • सैयद रोहिल्ला खामेनई: 3 दिसंबर 1979 से 3 जून 1989
  • सैयद अली खामेनई: 4 जून 1989 से अब तक

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article