JAMMU TERROR ATTACK: जिस जम्मू क्षेत्र से दशकों पहले सेना ने आतंकियों को मार भगाया था, वहाँ अचानकर आतंकी वारदात बढ़े हैं। पिछले 2 महीने के पिछले 2 महीनें के ट्रेड को देखे तो आतंकियों ने अपनी स्टैटजी बदली है। आतंकी अब कश्मीर घाटी की जगह जम्मू रीजन को निशाना बना रहे हैं । ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं क्या जम्मू रीज़न आतंकियों का एपिसेंटर बन गया है। पढ़िए ये स्पेशल रिपोर्ट।
पीठ पीछे हमला… फिर अचानक जंगल में गायब…… ये नई साजिश, नई रणनीति आतंकियों की है। इसे ग्यूरिला युद्ध कहे या फिर हिट एंड रन। आतंकी हमलें को अंजाम देने के बाद घने जंगलों से अदृश्य हो जाते हैं । इस वक्त जम्मू के इलाके में बहुत हलचल है । भारतीय सेना बहुत ऐक्टिव है। आतंकियों में ख़ौफ़ है। हर वक्त मुठभेड़ होने का डर है।
जम्मू के इलाके में जैश के आंतकी एक्टिव है और ये ज़्यादातर पाकिस्तानी हैं। जैश का पैटर्न शुरू से ही फ़िदायीन हमलों का रहा है । यानी जो आतंकी हमले को अंजाम देने आता है वो वापस जाने के मक़सद से नहीं आता था। लेकिन अब आतंकी फ़िदायीन नहीं बल्कि मार कर भागने के मक़सद से आ रहा है ।
अगर हम पिछले ढाई महीने आँकड़ों पर नज़र डाले तो 15 जुलाई को डोडा में हुए हमले में भारतीय सेना के एक अफ़सर सहित कुल चार जवान शहीद हुए । इससे पहले 9 जुलाई को कठुआ में सेना के क़ाफ़िले पर घात लगाकर हमला किया जिसमे 5 सैनिकों ने शहादत दी। इसके अलावा 4 मई को भारतीय वायुसेना के ट्रक पर हमला करने के बाद भाग खड़े हुए, जिसमें एक वायुसैनिक शहीद हुए। कुल मिलाकर ढाई महीने में 13 सुरक्षाबल शहीद हुए ।
इसे भी पढ़ें: http://TERROR ATTACK IN J&K: जम्मू कश्मीर में हमले का मुख्य मकसद बेहद खतरनाक, लोक सभा चुनाव से पाकिस्तान के बिगड़े होश
TERROR ATTACK IN J&K: जम्मू कश्मीर में हमले का मुख्य मकसद बेहद खतरनाक, लोक सभा चुनाव से पाकिस्तान के बिगड़े होशजम्मू में हालात शांत थे तो ऑपरेशन के तरीक़ों में भी बदलाव किया गया था। लेकिन इन हमलों के बाद एक बार फिर भारतीय सेना अपने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर यानी की SOP में बदलाव करेगी। यानी की जिस तरह से कश्मीर घाटी में किसी भी क़ाफ़िले के मूवमेंट से पहले रोड ओपनिंग पार्टी यानी की ROP लगाई जाती है। उसे तरह अब जम्मू में भी पूरे रूट के सेनेटाइज किया जाएगा।
जम्मू का इलाक़ा काफ़ी बड़ा है। ये इलाक़ा घने जंगल और उंची चोटियों वाली पहाड़ी से घिरा है । यानी जम्मू का टेरेन बेहद टफ है। जिसका फायदा आतंकी उठाने में जुटे है। पहाड़ी की हाइट पर बैठे आतंकी छिपकर सेना की मूवमेंट को आसानी से देख लेते है और फिर आतंकी घटना को अंजाम देते है । पिछले जितने भी आतंकी हमले जम्मू में हुए उसमें ज़्यादातर आतंकी सुरक्षाबलों के हाथ ही नहीं आए । आतंकी छुपकर हमला करते हैं जबकि सैनिक पूरी तरह एक्सपोज होते हैं। लेकिन अब भारतीय सेना ने ठान लिया है । कश्मीर की तरह ही जम्मू से भी आतंकियों का संपूर्ण सर्वनाश।