International: ट्रंप के खिलाफ ईरान ने दोबारा जारी किया वॉरंट, इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी कराने की तैयारी

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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प समेत कई बड़े नेताओं के ख़िलाफ़ ईरान की सरकार ने फिर से वॉरंट जारी कर दिया। ट्रम्प के ख़िलाफ ये गिरफ़्तारी वॉरंट बग़दाद में हुए उस ड्रोन हमले के लिए जारी हुआ, जिसमें ईरान की स्पेशल फ़ोर्स के कमांडर क़ासिम सुलेमानी की मौत हुई थी। तब से आज तक ईरान उनकी मौत के बदले की आग में जल रहा है। उसने ट्रम्प से क़ासिम सुलेमानी की मौत का बदला लेने की क़सम खाई थी। ईरान के मीडिया के मुताबिक़ दोबारा जारी किए गए वॉरंट में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के आलावा 71 लोगों के नाम शामिल हैं। ट्रम्प सरकार में अमेरिका के विदेश मंत्री रहे माइक पॉम्पियो के ख़िलाफ़ भी ईरान ने गिरफ़्तारी वॉरंट जारी कर दिया।

ट्रंप के साथ ही पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पियों के खिलाफ भी वॉरंट जारी किया गया है

इससे पहले 2020 में भी ईरान ने ट्रम्प समेत 36 लोगों के ख़िलाफ़ वॉरंट जारी किया था। इंटरपोल यानी इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस ऑर्गेनाइजेशन से उनकी गिरफ़्तारी के लिए रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की अपील की थी। लेकिन तब इंटरपोल ने ईरान की अपील को नियमों का हवाला देकर ख़ारिज कर दिया था। ईरान क़ासिम सुलेमानी की मौत को हत्या बताता है। डॉनल्ड ट्रम्प को इसके लिए ज़िम्मेदार मानता है।

ट्रंप पर सुलेमानी की हत्या का आरोप लगाया गया है।

3 जनवरी 2020 को तब के अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के आदेश पर ही सेना और अमेरिकी ख़ुफिया एजेंसी CIA ने मिलकर क़ासिम सुलेमानी को ड्रोन हमले में मार दिया था। जिसके बाद ईरान ने इराक में अमेरिका के दो सैन्य ठिकानों पर ताबड़तोड़ 22 मिसाइलें दाग़ दी थी। जिसमें 80 लोगों के मारे जाने का दावा किया था। हालांकि अमेरिका ने मौत के आंकड़ों की पुष्टि नहीं की। लेकिन दोनों देशों के बीच जंग का माहौल बन गया। क्योंकि ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली ख़ामनेई के बाद क़ासिम सुलेमानी को वहां का दूसरा सबसे शक्तिशाली इंसान माना जाता था।

अमेरिका क़ासिम सुलेमानी को अपने सबसे बड़े दुश्मनों में से एक मानता था। 2019 में तो उन्होंने ने अमेरिका को ख़त्म कर देने की धमकी तक दे डाली थी। और जंग के लिए क़ुद्स फ़ोर्स को तैयार रहने के आदेश भी दे दिए थे। वो उस वक़्त ईरान की स्पेशल ‘क़ुद्स फोर्स’ के कमांडर इन चीफ थे। उन्हें ये ज़िम्मेदारी 1998 में दी गई थी। बाद में उन्होंने सीरिया और इराक में आतंकी संगठन ISIS के खिलाफ मोर्चा लिया था। उसने अमेरिकी सेना के कई ठिकानों पर बड़े हमले भी करवाए। जिससे वो अमेरिका की आंखों में चुभने लगे और अब एक बार फिर से उनकी मौत के तीन साल बाद ईरान और अमेरिका में ठन गई है।

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