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Thursday, December 7, 2023

War: अमेरिका के दोस्त फिनलैंड में रूस के दूतावास पर हमला, सेना को पुतिन के आदेश का इंतजार

फ़िनलैंड के टापू पर रूस के कॉन्सुलेट पर हमले हुआ है। जिसके बाद फिनलैंड और रूस के बीच मतभेद बढ़ गया है। हालांकि, फिनलैंड की माने तो घटना की जांच की जा रही है। जिसके बाद हाल ही में NATO में शामिल हुए फिनलैंड की मुश्किलें बढ़ गई है।

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फ़िनलैंड के ओलांद द्वीप पर मौजूद रूसी दूतावास पर हमले से रूस और फ़िनलैंड के बीच तनाव बढ़ गया। रूस ने फ़िनलैंड के विदेश मंत्रालय से इसकी शिकायत कर दी। दावा है कि कुछ लोगों ने रूसी दूतावास परिसर में कोई विस्फोटक चीज़ फेंक दी। जिसके बाद वहां ज़ोरदार धमाका हुआ। रूस ने आरोप लगाया कि धमाके की वजह से दूतावास की इमारत को काफ़ी नुक़सान पहुंचा। हालांकि इस घटना में कोई भी घायल नहीं हुआ है।

रूस का दूतावास

रूस ने दूतावास के कर्मचारियों की जान को ख़तरा बताते हुए फ़िनलैंड से शिकायत कर दी। जिसके बाद फ़िनलैंड ने इस घटना पर खेद जताते हुए आरोपियों को जल्द पकड़ने का भरोसा दिया। बता दें कि ओलांद द्वीप बाल्टिक सागर में फ़िनलैंड और स्वीडन के बीच में मौजूद है। पश्चिमी मीडिया के मुताबिक़ द्वीप के ज़्यादातर लोग यूक्रेन पर रूस के हमलों का विरोध करते हैं। दावा है कि इसीलिए कुछ लोगों ने वहां रूसी दूतावास को निशाना बनाया।

फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मरीन और पुतिन

वहीं, यूक्रेन से जारी युद्ध के बीच रूस ने बहुत ही बड़ा दावा किया है। रूस के मीडिया के मुताबिक़ फ़िनलैंड में अमेरिकी फ़ौज की तैनाती होने जा रही है। जिसके बाद रूस बुरी तरह भड़क गया। गुस्साए रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने फ़िनलैंड के साथ ही NATO को अंजाम भुगतने की चेतावनी दे डाली। पुतिन ने साफ़ कह दिया कि अगर अमेरिका, फ़िनलैंड की ज़मीन या समुद्री सीमा का इस्तेमाल करेगा, तो रूस की सेना को मजबूरी में जवाबी कार्रवाई करनी पड़ेगी।

जेलेंस्की के साथ सना मरीन

इसका सीधा मतलब होगा कि अमेरिका और रूस की सेनाएं बिल्कुल आमने सामने आ जाएंगी। लड़ाई पर्दे के पीछे वाली ना होकर सीधी हो जाएगी। हालांकि ज़ेलेंस्की की सबसे ज़्यादा मदद करके अमेरिका एक तरह से रूस के ख़िलाफ़ युद्ध ही लड़ रहा है। यूक्रेन की धरती पर हो रही जंग अमेरिका के हथियारों और रूस की सेना के बीच हो रही है। हाल ही में फिनलैंड NATO में शामिल हुआ है। इस हालात में रूस की सेना ने अगर वहां हमला कर दिया तो अमेरिका और NATO देश चुप नहीं बैठेंगे।

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