सियासी विरोध और भारी विवाद के बीच आखिरकार बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री बिहार दौरे पर पहुंचे गए। उनके कार्यक्रम स्थल पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा भी लगा हुआ है। श्रद्धालुओं को इंतजार है, अपनी बारी का कि किसी तरह बाबा के हाथों उनकी पर्ची भी खुल जाए। पिछले कई दिनों से बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम को लेकर बिहार में राजनीतिक विरोध जारी था। लेकिन इस विवाद के बीच पटना में उनका दरबार सजने गया है। अगले पांच दिन तक बिहार की ज़मीन पर उनका प्रवचन चलते रहेगा।
बाबा धीरेंद्र शास्त्री का 13 मई से 17 मई तक पटना में कार्यक्रम है। जिसके लिए 3 लाख स्क्वैयर फ़ीट में पंडाल तैयार किया गया है। इसे जर्मन तकनीक से इस पंडाल को बनाया गया है और इस पर आंधी और तूफ़ान का भी असर नहीं पड़ेगा। श्रद्धालुओं की गाड़ियों की पार्किंग के लिए 200 बीघा ज़मीन का इंतज़ाम किया गया है। वहीं प्रसाद के लिए 60 से ज़्यादा काउंटर भी बनाए गए हैं। दावा किया जा रहा है कि बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दूर दूर से लोग बिहार पहुंचे हैं। उनके कार्यक्रम का आयोजन करा रही कमिटी के मुताबिक झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों से 1 लाख से ज़्यादा श्रद्धालुओं के आने का अनुमान हैं। इतना ही नहीं नेपाल और कई अन्य देशों से भी श्रद्धालुओं के पहुंचने की बात कही जा रही है।
हालांकि बिहार में धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम का जमकर विरोध भी हुआ। जिसके पीछे थे उनके विवादास्पद बयान हैं। उन पर कई बार भड़काऊ भाषण देने और भावनाओं को आहत करने के आरोप लगे हैं। उनपर धर्म विशेष पर टिप्पणी के आरोप लग चुके हैं। इतना ही नहीं महाराष्ट्र के नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान तो उन पर अंधविश्वास फैलाने का भी आरोप लगाया गया था। कुछ महीने पहले बागेश्वर धाम के कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री संत तुकाराम पर विवादास्पद बयान देकर घिर गए थे। जब उन्होंने कहा था कि संत तुकाराम को उनकी पत्नी पीटती थी।
संत तुकाराम का विवाद थमा भी नहीं था कि उसके कुछ दिनों बाद वो शिर्डी के साई बाबा पर दिए बयान की वजह से निशाने पर आ गए। साई बाबा के लिए कहे गए शब्द ने उनके लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी थी। उन्होंने कहा था कि साई भगवान नहीं हैं। तब धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ लोग सड़कों पर निकल आए थे और धीरेंद्र शास्त्री की तस्वीरों में आग लगाकर विरोध जताया था। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने भी इस बयान पर नाराज़गी जताई थी। इसी तरह का विवादास्पद बयान धीरेंद्र शास्त्री ने राजस्थान के उदयपुर में बने कुंभलगढ़ को लेकर भी किया था जिसके बाद राजस्थान में भी लोग उनके ख़िलाफ़ सड़कों पर उतर आए थे।