Chandrayaan-3 Mission: मिशन चंद्रयान 2 से कितना अलग है मिशन चंद्रयान 3, पहले की असफलता के बाद ISRO ने क्या क्या सीखा?

मिशन चंद्रयान 2 भले ही अधूरा रहा। लेकिन इस बार इसरो की तैयारी पूरी है। मिशन चंद्रयान-2 की तुलना में कहीं ज्यादा मजबूत है। कई मायनों में चंद्रयान-3 जुलाई 2019 में लॉन्च किए गए चंद्रयान-2 से अलग है।

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Chandrayaan-3 Mission: तैयारी चांद से जुड़े रहस्यों से पर्दा उठाने की है लेकिन इससे कहीं ज्यादा बड़ा सवाल चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग का है। क्योंकि 2019 में चंद्रयान-2 के लैंडर के साथ जुड़ी नाकामयाबी हमारे सामने है। ऐसे में इस बार इसरो ने लैंडर की सॉफ्ट लैडिंग कराने के लिए क्या तैयारी की है? और मिशन में क्या कुछ बदलाव किए हैं? ये रिपोर्ट पढ़िए।

धरती पर रात के अंधेरे में रोशनी बिखरने वाला चंद्रमा…हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहा है। लेकिन आकर्षण जितना ज्यादा है, चंद्रमा तक पहुंचने की राह उससे भी कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। ISRO के पूर्व चेयरमैन डॉ के. सिवन की माने तो “2019 में लैंडर विक्रम की लैंडिंग प्रक्रिया एकदम ठीक थी। जब यान चांद से 2.1 किमी दूर था, तब उसका धरती से संपर्क टूट गया था।”

MISSION CHANDRAYAN-3
मिशन चंद्रयान 3 के लिए सभी तैयारी पूरी

Chandrayaan-3 Mission: 2019 से इस बार क्या अलग?

मिशन चंद्रयान 2 भले ही अधूरा रहा। लेकिन इस बार इसरो की तैयारी पूरी है। मिशन चंद्रयान-2 की तुलना में कहीं ज्यादा मजबूत है। कई मायनों में चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Mission) जुलाई 2019 में लॉन्च किए गए चंद्रयान-2 से अलग है। चंद्रयान-3 के साथ मिशन चंद्रयान-2 की तरह ऑर्बिटर को नहीं भेजा जाएगा। क्योंकि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अभी भी चांद की कक्षा में चक्कर लगा रहा है। इस बार ऑर्बिटर की जगह पर प्रोपल्शन मॉड्यूल लगाया गया है। जो चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान नेविगेशन में मदद करेगा।

चंद्रयान-3 मिशन में मॉड्यूल के तीन हिस्से हैं

  • प्रोपल्शन मॉड्यूल
    जो स्पेसशिप को उड़ाने वाला हिस्सा होता है।
  • लैंडर मॉड्यूल
    जो स्पेसशिप को चंद्रमा में उतारने वाला हिस्सा है।
  • रोवर
    ये चंद्रमा का डेटा जुटाने वाला हिस्सा होता है।

Chandrayaan-3 Mission: टेक्निकल बदलाव क्या हुआ?

यहीं नहीं चंद्रयान-3 को चंद्रयान-2 के मुकाबले कई स्तर पर अपग्रेड किया गया है, ताकि सफलता की सुनिश्चित किया जा सके।

  • पिछली बार की तुलना में लैंडर को मजबूत बनाया गया है।
  • चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Mission) में बड़े और शक्तिशाली सौर पैनल का इस्तेमाल किया गया है।
  • गति निर्धारित करने के लिए अतिरिक्त सेंसर लगाए गए हैं।
  • चंद्रयान-2 की सॉफ्टवेयर समस्या को ठीक गया है।

Chandrayaan-3 Mission: कई उपरकरण साथ भेजा जाएगा

चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Mission) के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के लिए इसरो की तैयारी फुलप्रूफ है। गलती की किसी भी गुंजाइश को खत्म किया गया है। अब आपको बताते हैं कि चंद्रयान-3 अपने साथ कौन से उपकरण साथ लेकर जाएगा?

साथ में क्या क्या जाएगा?
  • प्रोपल्शन मॉड्यूल, जिसका वजन 2 हजार 148 किलो ग्राम है।
  • लैंडर, इसका वजन 1 हजार 726 किलोग्राम है…और चंद्रयान-2 के लैंडर से कहीं ज्यादा मजबूत है।
  • वहीं रोवर प्रज्ञान का वजन 26 किलोग्राम है।
  • लैंडर के साथ 4 पेलोड भेजे जाएंगे।
  • लैंडर की ऑन बोर्ड पावर 738 वाट की है।
  • चंद्रयान-2 के लैंडर की ऑन बोर्ड पावर 650 वाट की थी।
  • वहीं रोवर की ऑन बोर्ड पावर 50 वाट की है।

GSLV भी अपग्रेड

14 जुलाई को चंद्रयान- 3 (Chandrayaan-3 Mission) को LVM-3 रॉकेट से लॉन्च किया जा रहा। खास बात ये है कि LVM-3 रॉकेट चंद्रयान-2 को लॉन्च करने वाले GSLV MK 3 – M1 का ही अपग्रेड वर्जन है।
इसरो ने चंद्रयान-3 को लॉन्च करने के लिए LVM-3 को चुना है। LVM-3 के जरिए चंद्रयान-2 समेत 6 लॉन्च किए गए हैं और हर एक लॉन्च सफल रहा है। मतलब सफलता…शत प्रतिशत।

GSLV MK 3 – M1

चंद्रमा पर कब पहुंचेगा चंद्रयान?

30 से 40 दिन लैंडर को चांद की सतह पर पहुंचने में लगेंगे। इन सभी चरणों को पूरा करने में यानी 14 जुलाई 2023 की लॉन्चिंग से लेकर लैंडर और रोवर के चांद की सतह पर उतरने में करीब 30 से 40 दिन लगेंगे। मतलब, मिशन की सफलता की करोड़ों उम्मीदों के साथ चांद की दुनिया में कदम रखने को देश बेताब है।

चंद्रयान 3 की ख़ासियत

  • प्रोपल्शन वज़न- 2,148 किलो ग्राम 
  • लैंडरवज़न- 1,726 किलोग्राम  
  •  रोवर वज़न- 26 किलोग्राम
  • लैंडर के साथ 4 पेलोड होंगे 
  • लैंडर की ऑन बोर्ड पावर- 38 वॉट  
  • रोवर की ऑन बोर्ड पावर- 50 वॉट

भारत के लिए चंद्रयान 3 क्यों ज़रुरी?

  • चंद्रमा पर पहुंचने से सौर मंडल को समझने में मदद मिलेगी
  • बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए चंद्रमा उपयोगी जगह
  • चंद्रमा पर कई तरह के खनिज मिलने की संभावना
  • अंतरिक्ष में खोज के लिए स्टेशन विकसित करना

चंद्रयान 3 के 10 क़दम

  • फ़ेज़ 1 चंद्रयान 3 को अंतरिक्ष तक ले जाना  
  • फ़ेज़ 2 स्पेसक्राफ़्ट सोलर ऑर्बिट से होते हुए चंद्रमा की ओर बढ़ेगा 
  • फ़ेज़ 3 चांद की कक्षा में चंद्रयान 3 को भेजा जाएगा 
  • फ़ेज़ 4 चांद की सतह से 100 km ऊंची कक्षा में चंद्रयान 3 चक्कर लगाना शुरू करेगा 
  • फ़ेज़ 5 प्रोपल्शन मॉड्यूल और लूनर मॉड्यूल अलग होंगे 
  • फ़ेज़ 6 चंद्रयान 3 अपनी गति को कम करना शुरू करेगा 
  • फ़ेज़ 7 चांद पर लैंडिंग की तैयारी शुरू होगी 
  • फ़ेज़ 8 चंद्रयान 3 चांद की सतह पर उतरेगा 
  • फ़ेज़ 9 लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर उतरकर सामान्य होंगे  
  • फ़ेज़ 10 चंद्रमा की 100 km की कक्षा में प्रोपल्शन मॉड्यूल की वापसी

MISSION CHANDRAYAN-3: मिशन चंद्रयान से क्या फायदा?

ऐसे में अब इसरो की नजर, चांद की सतह में छिपे उन रहस्यों से पर्दा उठाने की है, जिनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।

  • चंद्रयान-3 के साथ जा रहा रोवर
  • चांद की सतह की तस्वीरें भेजेगा
  • चांद की मिट्टी की जांच करेगा
  • चांद के वातावरण की रिपोर्ट देगा
  • चांद पर मौजूद खनिज खोजेगा

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MISSION CHANDRAYAN-3: कहाँ उतरेगा चंद्रयान?

चंद्रयान-3 चांद से जुड़े उन तमाम रहस्यों से पर्दा उठाएगा, जिनसे अब तक दुनिया अंजान है। क्योंकि चांद की आधी सतह चमकती हुई है, मतलब जहां तक रोशनी पहुंचती है। वहीं, आधी सतह घुप अंधेरे में डूबी है।

  • चंद्रयान-3 का लैंडर मिशन चंद्रयान-2 की क्रैश साइट से 100 किमी. दूर उतरेगा
  • चांद के इस हिस्से में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं
  • तापमान बेहद कम होता है
  • तापमान माइनस 180 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है
  • लिहाजा पानी मिलने की संभावना कहीं ज्यादा है

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