Narendra Modi: साए की तरह आस्था और परम्परा को लेकर चल रहे PM मोदी, विदेश में भी संस्कृति को नहीं भूलते

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PM मोदी ऐसे ही दुनिया भर में सबसे लोकप्रिय नेता नहीं है। उनकी विदेश यात्राएं सिर्फ़ देश की विदेश नीति को लागू करने और दुनिया भर में भारत के साथ रिश्तों को सिर्फ़ मज़बूत करने के लिए नहीं होतीं। बल्कि भारतीय संस्कृति और परम्पराओं की मौजूदगी को दुनिया के अलग अलग हिस्से में पहुँचाने से भी जुड़ी रहती है।

पापुआ न्यू गिनी के PM ने PM मोदी का स्वागत किया

PM मोदी जहां संस्कृतियों का मिलन कराते हैं तो भारती संस्कृति को उपस्थिति को बहुत ही ज़्यादा मज़बूती से दर्ज कराते हैं। जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया की यात्रा के उद्देश्यों में से एक उद्देश्य ये भी है। इसी उद्देश्य के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के हिरोशिमा में अहिंसा के सबसे बड़े पुजारी महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया। जहां 78 साल पहले परमाणु बम से हमला किया गया था।

हिरोशिमा में अहिंसा के सबसे बड़े पुजारी महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया

अपनी जापान यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान में एक ऐसे आर्टिस्ट और लेखक से मुलाक़ात की, जो हिन्दी और पंजाबी में बोलते और लिखते हैं। साल 2018 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया जा चुका है। डॉक्टर तोमियो मिज़ोमाकियो से मिलकर प्रधानमंत्री मोदी ने हिन्दुस्तानी सभ्यता, हिन्दुस्तानी भाषाओं को विश्व मंच में स्थापित करने की कोशिश की। डॉक्टर तोमियो मिज़ोमाकियो ने पीएम नरेंद्र मोदी से निवेदन किया अगला विश्व हिन्दी सम्मेलन जापान में किया जाए। तोमियो मिज़ोमाकियो ने कहा कि “मैं एक जापान के एक शहर कोब में पैदा हुआ, जहां भारतीयों की आबादी बहुत ज़्यादा थी। मुझे भारतीय संस्कृति पसंद है, भारतीय भाषाओं ने आकर्षित किया और मैंने भारतीय भाषाएं सीखीं।”

जापान में डॉक्टर तोमियो मिज़ोमाकियो से मिलते PM मोदी

जापान से दुनिया ने देखा और जाना कि PM मोदी आज की तारीख़ में दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता हैं। दुनिया के हर एक मुल्क का हर एक बड़ा नेता उनसे जुड़ना चाहता है। उनसे बात करना चाहता है, उनसे दोस्ती करना चाहता है। और इस मामले में पीएम मोदी की बाहें हमेशा उनका स्वागत करती हैं। अपनी जापान यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना लोहा दुनिया में मनवा दिया। साथ में भारतीय संस्कृति को भी विदेशी ज़मीन पर स्थापित करने का काम किया। जापान से निकलने के बाद पीएम मोदी पापुआ न्यू गिनी पहुंचे। अपने देश की संस्कृति का प्रचार पास करने के लिए कवि और दार्शनिक तिरुवल्लुर की रचित तमिल महाकाव्य तिरक्कुरल का टोक पिसिन भाषा के संस्करण का विमोचन किया। पिसिन भाषा पापुआ न्यू गिनी की आधिकारिक भाषाओं में एक है।

पापुआ न्यू गिनी में तमिल महाकाव्य तिरक्कुरल का टोक पिसिन भाषा के संस्करण का विमोचन किया

ऑस्ट्रेलिया यात्रा के दौरान भी PM मोदी ने भारतीयों को सौग़ात दी। पररामट्टा में हैरिस पार्क का नाम ‘लिटिल इंडिया’ करने की घोषणा की। PM मोदी एक तरफ़ जहां विदेश में भारतीय संस्कृति की उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। तो भारत में जब विदेश के नेता आते हैं, तो उन्हें भी भारतीय संस्कृति के रंग में रंग देते हैं। जिससे पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति की पहचान और भारत की उपलब्धियों को मज़बूती मिलती है। जैसे 2014 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की यात्रा की थी। PM मोदी जिनपिंग को साबरमती आश्रम ले गए थे। शी जिनपिंग ने खादी की बनी जैकेट पहनी थी। 2019 में शी जिनपिंग फ़िर भारत यात्रा पर आए। PM मोदी शी को तमिलनाडु के मामाल्लापुरम ले गए। जो यूनेस्को की वैश्विक धरोहर सूची में शामिल है।

2014 में जिनपिंग को साबरमती आश्रम ले गए थे PM मोदी

साल 2018 में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भारत आए। PM मोदी उन्हें वाराणसी और मिर्ज़ापुर लेकर गए थे। साल 2018 की अपनी यात्रा में ट्रूडो भारतीय रंग में रंग गए। PM मोदी ट्रूडो को अमृतसर में गोल्डन टैंपल ले गए। ट्रूडो गुजरात के साबरमती आश्रम और मुम्बई भी गए थे। 2018 में साउथ कोरिया की फ़र्स्ट लेडी भारत आईं। किम जुंग सूक को अयोध्या की दीपावली में मुख्य अतिथि बनाया गया था।

2018 में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को वाराणसी ले गए थे PM मोदी

साल 2015 में जापान के तत्कालीन PM शिंजो आबे भारत दौरे पर आए। PM मोदी के साथ शिंजो आबे बनारस में गंगा आरती में शामिल हुए।

2015 में PM मोदी के साथ शिंजो आबे बनारस में गंगा आरती में शामिल हुए

साल 2022 में ब्रिटेन के तत्कालीन PM बॉरिस जॉनसन भारत के दौरे पर आए। बॉरिस जॉनसन का एक कार्यक्रम साबरमती आश्रम का भी था। इस दौरान उन्होंने साबरमती आश्रम में चरखा चलाया था। ये सभी बातें बताती हैं कि पीएम मोदी के लिए भारतीय संस्कृति को दुनिया के हर एक हिस्से तक पहुंचाने की कोशिश रहती है। यही वजह है कि जब G20 की अध्यक्षता भारत के पास है, तो उसकी थीम भी वसुधैव कुटुम्बकम वन अर्थ वन फ़ैमिली वन फ़्यूचर रखा है। ये बहुत बड़ा मौक़ा है और PM मोदी इस सुनहरे मौके पर भारत की महान गौरवशाली संस्कृति और वैभवशाली विरासत से दुनिया को परिचित कराने की योजना पर काम कर रहे हैं।

2022 में साबरमती आश्रम गए थे बोरिस जॉनसन

G20 की बैठकों का आयोजन भी भारत के अलग अलग शहरों में किया जा रहा है। जिसमें शामिल होने के लिए आए दुनिया के 20 सबसे शक्तिशाली मुल्कों के प्रतिनिधियों को भारत की धरोहर और संस्कृति से भी रू-ब-रू कराया जा रहा है। ऐसी जगहों के भ्रमण पर उन्हें ले जाया जा रहा है, जहां भारतीय धरोहर के निशान मौजूद हैं और भारतीय संस्कृति को जीया जाता है।

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