पाकिस्तानी दूतावास के पास खर्च के लिए पैसे नहीं, दिवालिया होने की तारिख तय

पाकिस्तान में जिस तरह के हालात हैं, उसका दिवालिया होना तय माना जा रहा है। इसी बीच पकिस्तान दूतावास के बेचने की भी ख़बर सामने आई है।

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डॉलर के मुक़ाबले पाकिस्तानी रुपये की ऐतिहासिक गिरावट ने पाकिस्तान की इकोनॉमी की रीढ़ पर एक और प्रहार किया है। एक डॉलर क़रीब 300 पाकिस्तानी रुपये के बराबर हो गया है। मतलब पाकिस्तान के पास अब ज़रूरी सामानों को ख़रीदने के लिए डॉलर तक कम बची हैं। इतनी कम की पाकिस्तान में इमरजेंसी तय दिख रही है और ये इमरजेंसी भूख वाली होगी। अभी गेहूं के स्टोर्स पर पाकिस्तानी आर्मी का पहरा है तब हर पेट पर पाकिस्तानी आर्मी की लात होगी। अभी शहबाज़ शरीफ़ लगान वसूली से सता रहे हैं तब आर्मी लाठी के दम पर लोगों को समझाएगी।। मतलब की तबाह हर हाल में पाकिस्तान की अवाम होगी क्योंकि पाकिस्तान के वित्त मंत्री देश को अल्लाह भरोसे छोड़ चुके हैं।

पाकिस्तान में पेट्रोल की क़ीमत में भी जमकर वृद्धि हो रही है। रिपोर्ट की माने तो आने वाले दिनों में वहाँ एक लीटर पेट्रोल की क़ीमत 300 पाकिस्तानी रुपये हो सकती है। वैसे तो पाकिस्तान में पेट्रोल की पहले से ही क़िल्लत है,हालात ऐसे हैं कि पेट्रोल डीज़ल के अभाव में कई पेट्रोल पंप बंद हो चुके हैं। वहीं, कंगाली के बीच पाकिस्तान ने दुनिया भर के सभी दूतावासों में विदेश मुद्रा में पेमेंट रोक दिया है। ख़बर है कि ये फ़ैसला आर्थिक तंगी की वजह से लिया गया। पाकिस्तान के मीडिया के मुताबिक़ डॉलर की कमी होने से पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने ये कदम उठाया है। एक तरफ़ पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक़ डार का मानना है कि पाकिस्तान अगर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मदद के लिए उसके बेलआउट प्रोग्राम को स्वीकार करता है तो पाकिस्तान के सड़कों पर दंगे होंगे।

ब्रिटिश अख़बार फ़ाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट बहुत चौकाने वाली है। इस रिपोर्ट में पाकिस्तान के भविष्य को अंधेरे में डूबा दिखाया गया है। रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान जल्द ही श्रीलंका बन सकता है, पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति अस्थिर होती जा रही है और सामानों की किल्लत भी बढ़ती जा रही है। श्रीलंका में भी पहले विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण सामानों की भारी किल्लत हुई थी और मई में जाकर वो डिफॉल्ट हो गया था। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में ईंधन की भारी कमी हो गई है जिसे बचाने के लिए कपड़ा उद्योग और दूसरे कारखाने बंद किए जा रहे हैं। कई कारखानों में बस कुछ ही घंटे काम हो रहा है।

क़र्ज़ पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की ताबूत में आख़िरी कील ठोकता दिख रहा है। इस समस्या से निपटने के बजाय वहां के वित्त मंत्री अजीबोगरीब बयान दे रहे हैं। पाकिस्तान के वित्त मंत्री अर्थव्यवस्था दुरुस्त करने में जुटते तो पाकिस्तान की जनता का भला हो जाता। लेकिन उल्टे पाकिस्तान की सरकार अपने सांसदों और जजों के लिए फिजूलख़र्च करने पर अमादा है। पाकिस्तान में फिलहाल 23 लाख मीट्रिक टन गेहूं की कमी है, इस साल देश में कुल गेहूं 284 लाख मिट्रिक टन है। जिसमें गेहूं का उत्पादन 263 लाख मिट्रिक टन और कैरी फॉरवर्ड स्टॉक 20 लाख मिट्रिक टन था, लेकिन पाकिस्तान की खपत 307 लाख मिट्रिक टन है। कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि जहां पर गेंहूं को स्टोर किया गया है, वहां पर सैनिकों की तैनाती की गई है। पाकिस्तान में महंगाई 25 फीसदी के करीब पहुंच गई है। सरकार नाकाम और लाचार नज़र आ रही है।

पाकिस्तान अब उस रात में सो चला है जिसकी सुबह नहीं दिखती। बारूद ने बर्बादी की वो चादर मुल्क को ओढ़ाई है जो उसके जीते जी शायद नहीं हटने वाली क्योंकि उसके अपने ही उसके साथ धोखा कर रहे हैं। हालात ऐसे हो चुके हैं कि पाकिस्तान अब उस रात में सो चला है जिसकी सुबह नहीं दिखती।

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