बिहार में सुशासन का क्या हाल है, सूबे में भ्रष्टाचार किस कदर हावी है, उसकी पोल सुल्तानगंज में खुल गई। जब भारी भरकम पुल गंगा नदी में भरभराकर समा गया। गंगा नदी में पुल गिरते ही अफ़रा तफ़री मच गई। ऐसा लगा की मानो कुछ देर के लिए सुनामी आ गई हो। ऐसा लगा कि मानो पूरे इलाक़े में बड़ी तबाही आ गई हो। नदी किनारे मौजूद लोग इधर उधर भागने लगे, तो कुछ लोग अपने मोबाइल फ़ोन से इसका विडियो बनाने लगे।
ऐसा नहीं है कि ये पुल पहली बार गिरा हो। इससे पहले भी अप्रैल 2022 में पुल का बड़ा हिस्सा नदी में समा चुका था। उस वक़्त पुल के डिज़ाइन को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए गए थे। लेकिन उससे भी शासन प्रशासन ने सीख नहीं ली। और एक बार भी निर्माणाधीन पुल का एक बड़ा हिस्सा गंगा नदी में समा गया। निर्माणाधीन पुल का सुपर स्ट्रक्चर नदी में गिर गया और क़रीब 200 मीटर का हिस्सा गंगा नदी में बह गया।
इस हादसे के बाद बाद जब सर्च ऑपरेशन चलाया गया तो पता चला कि पुल के ऊपर ड्यूटी में तैनात दो गार्ड लापता हैं। वहीं, कुछ और लोगों के भी लापता होने की ख़बर है। जो लोग लापता हुए हैं उनमें से कुछ लोग भागलपुर के हैं, तो कुछ लोग खगड़िया से। आनन फानन में SDRF की टीम को लापता लोगों की तलाश में लगाया गया।
फिलहाल SDRF की टीम ने मोर्चा संभाला हुआ है। और लापता हुए लोगों की तालाश की जा रही है। वहीं, निर्माण कार्य की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। स्थानीय लोगों का ये भी कहना है के निर्माण कार्य में बरती गई लापरवाही की वजह से ये हादसा हुआ। उनका मानना है कि गनीमत ये रही की ये हादसा रविवार को हुआ था और उस दिन काम बंद था। अगर ये हादसा किसी और दिन होता तो बड़ी तबाही हो सकती थी।
इस हादसे के बाद से गंगा नदी के आस पास रहने वाले लोग सहमे हुए हैं। कई ऐस परिवार हैं जो अपनों के लापता होने का दावा कर रहे हैं। ऐसे परिवारों में सन्नाटा पसरा हुआ है। मौक़े पर SDRF की टीम डटी हुई है। एक साल के भीतर लगतार दूसरी बार हुए इस हादसे को लेकर नीतीश सरकार सवालों के घेरे में है। सुशासन में पनप रहे भ्रष्टाचार को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। फिलहाल सरकार की तरफ से हादसे की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। लेकिन जिस तरह से दूसरी बार ये हादसा हुआ उससे नीतीश सरकार सवालों के घेरे में हैं।