पाकिस्तान की आर्थिक हालत पहले से भी ज़्यादा ख़राब हो गई। जिसकी वजह से उसकी GDP विकास दर शून्य के क़रीब पहुंच गई। पाकिस्तान इस समय आर्थिक संकट से जूझ रहा है। रही सही कसर वहां के मौजूदा राजनीतिक संकट ने पूरी कर दी। जिसके बाद पाकिस्तान की GDP विकास दर शून्य के क़रीब पहुंच गई।
वहां के मीडिया ने दावा किया कि इस साल पाकिस्तान की विकास दर 0.29 प्रतिशत हो सकती है। जिसके लिए उसने शहबाज़ शरीफ़ सरकार की ग़लत आर्थिक नीतियों को ज़िम्मेदार ठहराया। दावा किया गया कि ग़लत आर्थिक नीति के कारण वो अपने लक्ष्य से चूक गई। जिससे पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर लोगों का रोजगार चला गया। यही नहीं 59 साल में महंगाई दर 36 प्रतिशत तक पहुंच गई।
दुनिया के देशों को क़र्ज़ देने वाली संस्था IMF की शर्तें मानकर शहबाज़ सरकार ने ज़रूरी सामान की क़ीमतें बढ़ा दीं। जिससे अर्थव्यवस्था को भारी नुक़सान पहुंचा। लेकिन शहबाज़ सरकार ना तो IMF से क़र्ज़ ला पाई और ना ही अर्थव्यवस्था को बचा पाई। जिससे इस कारोबारी साल में पाकिस्तान की GDP विकास दर 0.29 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। यानि पाकिस्तान की आर्थिक नैया पूरी तरह से डूबने वाली है। जिसका असर भी दिखने लगा। पाकिस्तान के उद्योगपतियों के संगठन PBC यानी पाकिस्तान बिजनेस काउंसिल ने दावा किया कि बड़े कारोबारी पाकिस्तान से हाथ खींचने लगे हैं। जिसकी वजह से कंगाल पाकिस्तान को निवेश मिलना काफ़ी मुश्किल हो गया है। जबकि उसे इस वक़्त पैसे की सख़्त जरूरत है।
पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर खड़ा है। इस बीच PBC ने चेतावनी दी पाकिस्तान में आर्थिक संकट और गहरा सकता है क्योंकि बदहाल पाकिस्तान में कोई भी कारोबारी निवेश नहीं करना चाहता। PBC ने इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी से फैली अशांति और IMF से मिलने वाले क़र्ज़ में देरी को इसकी बड़ी वजह बताया।
पाकिस्तान बिजनेस काउंसिल के मुताबिक़ पाकिस्तानी रुपया इस वक़्त दुनिया की सबसे कमज़ोर करेंसी है। जिसकी वजह से पाकिस्तान सरकार को किसी नए निवेश की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। साथ ही PBC ने शहबाज़ सरकार के बड़े उद्योगों पर 10 प्रतिशत सुपर टैक्स लगाने के फ़ैसले का भी विरोध किया।