उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण कानून पहले से है लागू, अधिकतम 20 साल कैद का प्रावधान, फिर भी नहीं रूक रहे धर्मांतरण

गाज़ियाबाद में धर्मपरिवर्तन कराने वाले एक ऐसे गैंग का पर्दाफ़ाश हुआ है। जो हाईटेक तरीके से गैर इस्लामिक धर्मों के नाबालिग़ लड़कों को बरगलाकर उनका धर्म परिवर्तन कराता था। ये गैंग ऑनलाइन गेमिंग ऐप पर एक्टिव था। जो गेम खेलने वाले ऐसे बच्चों को शिकार बनाता था।

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दिल्ली से सटे यूपी के ग़ाज़ियाबाद में धर्मांतरण का मामला सामने आने के बाद हड़कम्प मच गया। यूपी के अल्पसंख्यक मंत्री ने एक कमिटी बनाकर एक हफ़्ते में रिपोर्ट सौंपने की बात कही है। यूपी में लागू धर्मांतरण क़ानून लागू है। उसके बाद भी कई मामले सामने आ चुके हैं।

यूपी में 2020 से ही धर्मांतरण कानून लागू
यूपी में धर्मांतरण कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को अपराध की गंभीरता के आधार पर 10 साल तक की जेल के साथ ही 15 हजार से 50 हजार तक जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है। इस कानून के तहत एससी/एसटी समुदाय के नाबालिगों और महिलाओं के धर्मांतरण पर तीन से 10 साल की सजा का प्रावधान है, जबकि जबरन सामूहिक धर्मांतरण के लिए जेल की सजा तीन से 10 साल और जुर्माना 50 हजार रखा गया है। इतने सख्त कानून के बावजूद धर्मांतरण गैंग यूपी में सक्रिय है और नए नए तरीकों से गैर इस्लामिक लोगों का धर्मांतरण करा रहा है।

यूपी में लागू धर्मांतरण कानून को समझिए

  • 27 नवंबर 2020 से धर्मांतरण क़ानून यूपी में लागू
  • इस मामले में 1 से 10 साल तक की सज़ा का प्रावधान
  • इसके साथ ही 50 हज़ार रुपये तक का जुर्माना लगेगा
  • वहीं पीड़ित अगर महिला या नाबालिग़ या SC/ST का हो तो
  • 2 से 10 साल तक की क़ैद हो सकती है
  • वहीं, जुर्माना कम से कम 25 हज़ार रुपये तक का लगाया जाएगा
  • अगर अपराध जबरन सामूहिक धर्मांतरण का हो तो
  • 3 से 10 साल तक की क़ैद हो सकती है
  • वहीं जुर्माना कम से कम 50 हज़ार रुपये तक का लगाया जाएगा
  • अगर अपराध जबरन धर्मांतरण का हो तो
  • मुआवज़ा 5 लाख रुपये तक का मिलेगा
  • और ये मुआवजा दोषी द्वारा पीड़ित को देना होगा
  • वहीं, अगर अपराध बार बार जबरन धर्मांतरण का होगा तो
  • सज़ा अधिकतम 20 साल क़ैद की हो सकती है

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